1. ख़त जो लिखा मैनें वफादारी के पते पर,
डाकिया ही चल बसा, शहर ढूंढ़ते ढूंढ़ते
2. खुशियाँ तो कही भी मिल सकती है,
ज़रूरत है बस उस नज़रिये की
3. मैंने खुदा से कहा तू सब की दुआ पूरी करता है मेरी भी कर दे,
बस मेरी सारी खुशियां मेरे मां के नाम कर दे

4. मैं ख्वाहिश बन जाऊँ और तुम रूह की तलब
बस यूँ ही जी लेंगे दोनों मोहब्बत बनकर

5. लो आज फिर अल्फ़ाज़, न जाने कहाँ खो गए
.
कुछ मिल नहीं रहा है, तुम्हारे इंतज़ार में लिखने को
